Child Care Tips-नींद की कमी से बच्चों में बढ़ रहा हैं डिप्रेशन, जानिए कितनी नींद हैं आवश्यक

 

हाल ही में किया गया एक अध्ययन राजधानी में स्कूली बच्चों को प्रभावित करने वाले एक चिंताजनक मुद्दे पर प्रकाश डाला है। शोध से पता चलता है कि कक्षा 8 से 12 तक के छात्रों की एक बड़ी संख्या डिप्रेशन के लक्षणों से जूझ रही है, जिसका मुख्य कारण अपर्याप्त नींद है। यह अध्ययन सरकारी और निजी दोनों स्कूलों के बच्चों के बीच इस समस्या में योगदान देने वाले विभिन्न पहलुओं की पर जोर डालता हैं।

अपर्याप्त नींद:

अध्ययन इस बात पर प्रकाश डालता है कि स्कूली बच्चों का एक बड़ा हिस्सा, लगभग 40%, डिप्रेशन के लक्षणों का अनुभव कर रहा है। इसमें योगदान देने वाला एक महत्वपूर्ण कारक नींद की लगातार कमी है। चौंकाने वाले आंकड़े बताते हैं कि इनमें से दो-तिहाई बच्चे छह घंटे से भी कम सोते हैं, जो अनुशंसित अवधि से काफी कम है।

पहचाने गए मुद्दे:

इन प्रभावित छात्रों के बीच कई मुद्दों की पहचान की गई, जिनमें अनियमित नींद का पैटर्न, भोजन छोड़ना, शारीरिक व्यायाम की कमी, मानसिक तनाव का पारिवारिक इतिहास, शरीर की छवि संबंधी चिंताएं और यहां तक कि धूम्रपान और शराब के सेवन जैसी हानिकारक आदतों में संलग्नता शामिल है।

लैंगिक असमानताएँ:

शोध से पता चलता है कि लड़कों की तुलना में लड़कियों में डिप्रेशन के लक्षण अधिक पाए जाते हैं। इसके अतिरिक्त, बिना भाई-बहन वाले बच्चे और जिनके माता-पिता कार्य प्रतिबद्धताओं के कारण अक्सर अनुपस्थित रहते हैं, संभवतः अकेलेपन की भावनाओं के कारण अधिक जोखिम में होते हैं।

अध्ययन में इन स्कूली बच्चों में अवसाद के विशिष्ट लक्षणों की पहचान की गई, जिनमें लगातार उदासी, अक्सर नकारात्मकता के कारण संचार में कमी, बिना किसी स्पष्ट कारण के चिड़चिड़ापन बढ़ना, नींद के पैटर्न में बदलाव (अत्यधिक नींद या अनिद्रा), पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई, बार-बार सिरदर्द और पेट दर्द शामिल हैं।

उम्र के अनुसार नींद की आवश्यकताएँ:

4 से 12 महीने: 12 से 16 घंटे की नींद

1 से 2 साल: 11 से 14 घंटे की नींद

3 से 5 साल: 10 से 12 घंटे की नींद

6 से 12 साल: 9 से 12 घंटे की नींद

13 से 18 साल: 8 से 10 घंटे की नींद