Raksha Bandhan 2023: भद्रा काल क्या है? ये अशुभ क्यों है? जानें इस से बचने के लिए क्या करना चाहिए? 

 

इस साल रक्षाबंधन के दिन भद्रा काल है और इसकी काफी चर्चा हो रही है। तो क्या भद्रा काल बुरा समय है? इसके पीछे क्या पौराणिक कथा है? पढ़ते रहिये!

पंचाग के पांच अंग हैं वार, तिथि, नक्षत्र, योग और करण। पंचांग में कालक्रम के लिए इन पांच अंगों का विचार किया जाता है। वहीं पंचाग से त्योहार, उत्सव, जयंती, पुण्य तिथि आदि का भी बोध होता है। इन पांच अंगों से 'करण' और 'भद्रा काल' जुड़े हुए हैं। करण ग्यारह हैं। इन्हीं में से एक है विष्टि करण. जिस दिन विष्टि करण होता है उस दिन भद्रा काल होता है। यह करण और राशि के माध्यम से चंद्रमा के गोचर से संबंधित है।


भद्राकाल को अशुभ माना जाता है। बारह राशियों के गोचर के दौरान चंद्रमा मेष, वृषभ, मिथुन और वृश्चिक राशि में गोचर करता है। तो कन्या, तुला, धनु, मकर में भद्रा 'पाताल लोक' में होती है और कर्क, सिंह, 'कुंभ', मीन में भद्रा 'पृथ्वी लोक' में होती है। तदनुसार, 30 अगस्त को रक्षाबंधन के दिन चंद्रमा 'विष्टि' और 'कुंभ' राशि में रहेगा। तदनुसार, इस दिन भद्राकाल की भविष्यवाणी की जाती है। मुहुर्त चिंतामणि, मुहुर्त मार्तंड ग्रंथ इस बारे में विस्तृत जानकारी देता है।

भद्राकाल में क्या न करें, क्या करें?
विवाह, गृह प्रवेश, तीर्थयात्रा, व्यापार में आर्थिक निवेश, नए कार्य, मंगलकार्य, अन्य महत्वपूर्ण शुभ कार्य नहीं करने चाहिए। इसके अलावा भद्रा काल में युद्ध करना, हथियार चलाना, शल्य चिकित्सा करना, बलि चढ़ाने से भी बचना चाहिए। भद्रा से बचाव के लिए शिव की पूजा करनी चाहिए और भद्रा के 12 नामों, धान्या, दधिमुखी, भद्रा, महामारी, खराना, कालरात्रि, महारुद्रा, विष्ठी, कुल पुत्रिका, भैरवी, महाकाली, असुर शक्री का जप करना चाहिए। भद्राकाल के संकट से मुक्ति मिलेगी।

भद्रा कौन है?
हालाँकि भद्रा का अर्थ है अच्छा और अभद्र का अर्थ है बुरा, भद्रा की कहानी में बुरा छिपा है। धार्मिक दृष्टि से भद्रा सूर्यदेव और छाया की पुत्री और शनिदेव की बहन हैं। भद्रा भी शनि की तरह क्रोधी और असंतुष्ट थी। वह बचपन से ही दैवीय, धार्मिक कार्यों और साधु-संतों की पूजा में विघ्न डालती रहती थी। भगवान सूर्य ने भद्रा के उपद्रव की शिकायत भगवान ब्रह्मा से की। ब्रह्माजी ने भद्रा को समझाया और उसे विष्टि करण में स्थान दिया। भद्रा काल में किए गए कार्य शुभ फल नहीं देते हैं। रक्षाबंधन के दिन भद्रा का वास पृथ्वी पर रहेगा। ऐसा माना जाता है कि भद्रा के दौरान रक्षाबंधन का त्योहार मनाना शुभ नहीं होता है।

अशुभ भद्राकाल तिथि एवं समय
30 अगस्त को पूर्णिमा तिथि के प्रारंभ के साथ भद्रा की भी शुरुआत हो जाएगी जोकि 30 अगस्त को रात्रि 9 बजकर 1 मिनट तक रहेगी। भद्रा के रहते 30 अगस्त 2023 को पूरे दिन राखी नहीं बांधी जा सकती है। 30 अगस्त 2023 को भद्रा काल रात्रि 09 बजकर 01 मिनट तक रहेगी, ऐसे में 30 अगस्त को रात के समय जब भद्रा की समाप्ति हो तो उसके बाद राखी बांधी जा सकती है।

रक्षाबंधन भद्रा पूंछ - शाम 05:32 - शाम 06:32
रक्षाबंधन भद्रा मुख - शाम 06:32 - रात 08:11
रक्षाबंधन भद्रा का अंत समय - रात 09:01