Health Tips- क्लाइमेट चेंज से होता हैं इन लोगो को खतरा, जानिए इनके बारें में

 

क्लाइमेट चेंज से अस्थमा और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) जैसी फेफड़ों की बीमारियों से पीड़ित बच्चों और वयस्कों दोनों के लिए खतरा बढ़ जाता हैं, हाल ही एक रिपोर्ट इन कमजोर आबादी पर बढ़ते वैश्विक तापमान के संभावित प्रतिकूल प्रभावों को रेखांकित किया हैं। जलवायु संकट हर किसी के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है, लेकिन श्वसन संबंधी समस्याओं वाले व्यक्तियों को सबसे बड़े खतरे का सामना करना पड़ता है।

आपको बता दें कि जलवायु परिवर्तन मौजूदा वायु प्रदूषण से होने वाले नुकसान को बढ़ाता है। इस बहुआयामी खतरे में वायुजनित एलर्जी में वृद्धि और हीटवेव, सूखा और वनों की कटाई जैसी घटनाओं की घटना शामिल है, जो सभी उच्च वायु प्रदूषण स्तर में योगदान करते हैं।

विशेष रूप से चिंता की बात समाज के सबसे युवा और सबसे बुजुर्ग सदस्य हैं, जिनमें शिशु, बच्चे और बुजुर्ग शामिल हैं, जो जलवायु परिवर्तन के कारण सांस लेने में गंभीर समस्याओं का अनुभव करते है, आइए जानते है कि क्लाइमेट चेंज से और क्या खतरा हो सकता हैं-

हृदय रोग और स्ट्रोक: बढ़ते वैश्विक तापमान और जलवायु परिवर्तन से जुड़ी अधिक लगातार और गंभीर हीटवेव मस्तिष्क के कार्यों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती हैं, जिससे हृदय रोग, स्ट्रोक और अन्य संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है।

डेंगू और मलेरिया: बढ़ते तापमान और उच्च आर्द्रता का स्तर डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया सहित मच्छरों और अन्य कीड़ों से होने वाली संक्रामक बीमारियों के फैलने का खतरा बढ़ जाता हैं।

अस्थमा: जलवायु परिवर्तन हवा की गुणवत्ता को खराब करने में योगदान देता है, जिससे अस्थमा और अन्य पुरानी श्वसन रोगों जैसी श्वसन समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है।