महिलाओ की कुंडली में इन ग्रहो से बदल सकता है सब कुछ

 

मान्यता है कि हस्तरेखा में प्रेडिक्शन के दौरान महिलाओं को उल्टा हाथ देखा जाता है उसी तरह कुंडली देखना का तरीका भी अलग होता है क्योंकि महिलाओं की कुंडली अनेक विभिन्नताएं होती है।

महिलाओं की कुंडली में नौवां स्थान या भाव से पिता और सातवा स्थान या भाव से पति की स्थिति का भान किया जाता है चौथे भाव से गर्भ धारण क्षमता ,सुख-दुख समाज में मान सम्मान ,अपमान आदि का फल निकाला जाता है चंद्र महिलाओं के मन पर अधिक प्रभाव डालता है अतः विष दोष युक्त चंद्र क्षीणबल होकर पाप पीड़ित होकर महिलाओं को अपमानित होना पड़ता है।

यह संतान पैदा करने की क्षमता को भी नष्ट करता है वही चंद्र के बाद मंगल का सबसे ज्यादा प्रभाव रहता है जो मासिक धर्म के कारक हैं इसके अशुभ स्थिति में मासिक धर्म अनियमितता रहती है और ऑपरेशन होते हैं।

वहीं अगर महिला अपने गुरु को बलवान रखती है तो उसके लिए कोई भी दोष मायने नहीं रखता है अतः चंद्र, मंगल ,शुक्र की स्त्री के जीवन को अत्यधिक प्रभावित करते हैं ऐसी महिलाओं को इन घरों के उपाय के लिए चांदी पहनने चाहिए और एकादश या प्रदोष के व्रत रखने चाहिए आंखों में काला सुरमा भी लगाना चाहिए।