Vastu Tips- किचन और कमरे के ये वास्तु दोष लाते हैं दरिद्रता, आज ही ठीक करें इन्हें

 

प्रत्येक घर में, प्रत्येक स्थान का अपना महत्व होता है, जिसमें रसोईघर, पूजा कक्ष, स्नानघर और शयनकक्ष जैसे क्षेत्र महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। रसोई, जिसे अक्सर माँ अन्नपूर्णा का क्षेत्र माना जाता है, विशेष महत्व रखती है क्योंकि इस स्थान में कोई भी वास्तु दोष सीधे निवासियों के स्वास्थ्य पर प्रभाव डाल सकता है। रसोई के अलावा, घर के विभिन्न हिस्सों में कई अन्य दोष भी किसी के जीवन पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं। ऐसे में इन वास्तु दोष को ठीक करें, आइए जानते हैं इनके बारे में

रसोई में वास्तु दोष:

कुक की पीठ दरवाजे की ओर है:

खाना बनाते समय रसोइये के पीछे दरवाजा लगाने से कमर और कंधों में दर्द हो सकता है। इस व्यवस्था को ठीक करने से खाना पकाने के दौरान होने वाली शारीरिक परेशानी कम हो सकती है।

दक्षिण दिशा में सिंक का स्थान:

बर्तन धोने के लिए सिंक दक्षिण दिशा में होने से लगातार और अकारण खर्चे बढ़ सकते हैं। गैस को दक्षिण-पूर्व की ओर स्थानांतरित करने और पूर्व की ओर मुख करके खाना पकाने से इस वित्तीय समस्या को कम करने में मदद मिल सकती है।

रसोई की दिशा और ग्रेनाइट स्लैब:

उत्तर या उत्तर-पश्चिम दिशा में काले ग्रेनाइट स्लैब से रसोई का निर्माण करना प्रतिकूल माना जाता है। काला ग्रेनाइट, क्योंकि यह गर्मी को अवशोषित नहीं करता है, खाना पकाने की प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है। रसोई की दिशा और उपयोग की जाने वाली सामग्रियों को समायोजित करके इस वास्तु दोष को दूर किया जा सकता है।

कमरे और शौचालय के लिए वास्तु शास्त्र:

उत्तर-पूर्व में बेटे का शयनकक्ष:

पुत्र का शयनकक्ष उत्तर-पूर्व में रखने से संतान प्राप्ति में बाधा आती है। सकारात्मक ऊर्जा प्रवाह को बढ़ावा देने के लिए शयनकक्ष के स्थान पर पुनर्विचार करने की सलाह दी जाती है।

दक्षिण-पश्चिम में शौचालय:

माना जाता है कि दक्षिण-पश्चिम दिशा में स्थित शौचालय अवांछित खर्चों का कारण बनता है। इस दिशा में शौचालय न बनाने से अनावश्यक वित्तीय बोझ को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है।

कमरों में टूटे हुए कोने:

कमरे में टूटे हुए कोने सुख और शांति में कमी लाते हैं। घर में सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को बहाल करने के लिए इन टूटे हुए कोनों की मरम्मत करना आवश्यक है।