Sawan 2023: ये हैं वो राशियां जो भगवान शंकर को है सबसे ज्यादा प्रिय
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श्रावण भगवान शिव का प्रिय महीना है। सिर्फ श्रावण ही नहीं बल्कि साल के बारह महीनों में भी कुछ राशियां ऐसी होती हैं जिन पर भगवान शिव की छत्रछाया रहती है और उन पर पूरे साल शिव की कृपा बनी रहती है।
अधिक मास में भगवान शंकर ही इस सृष्टि के पालक होते हैं। वर्तमान में श्रावण मास भी दहलीज पर पहुंच गया है। कुछ राशियाँ ऐसी हैं जो भगवान शंकर को सदैव प्रिय रहती हैं। इस वर्ष श्रावण अधिक श्रावण और निज श्रावण मिलाकर 59 दिनों का होने वाला है। श्रावण भगवान शिव का प्रिय महीना है। सिर्फ श्रावण ही नहीं बल्कि साल के बारह महीनों में भी कुछ राशियां ऐसी होती हैं जिन पर भगवान शिव की छत्रछाया रहती है और उन पर पूरे साल शिव की कृपा बनी रहती है। आइए देखें वे भाग्यशाली राशियाँ कौन सी हैं।
कौन सी राशियाँ भगवान शिव को सदैव प्रिय हैं?
मेष राशि: शिव शंकर मेष राशि पर सदैव अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखते हैं। मेष राशि वालों के जीवन में जब कोई समस्या आती है तो शिव स्वयं उस समस्या का समाधान करते हैं। मेष राशि वालों पर भगवान शंभू सदैव प्रसन्न रहते हैं। अगर आप चाहते हैं कि शिव की कृपा आप पर सदैव बनी रहे तो श्रावण मास में शिवलिंग का गंगाजल से अभिषेक करें। साथ ही सप्ताह में कम से कम कुछ दिन मंदिर जाकर भगवान शंकर के दर्शन करने चाहिए और प्रार्थना करनी चाहिए कि उनकी कृपा हम पर बनी रहे।
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मकर राशि: मकर राशि का स्वामी शनि है। लेकिन शनि ने भी अपनी साधना से भगवान शिव को प्रसन्न कर लिया था। उसी का परिणाम है कि महादेव मकर राशि पर अपना आशीर्वाद का हाथ बनाए रखते हैं। मकर राशि के जातकों को श्रावण मास में जल में शमी के पत्ते मिलाकर भगवान शंकर को अर्पित करना चाहिए। इसके साथ ही शिव चालीसा और 'ओम नम: शिवाय' मंत्र का जाप करना चाहिए। मकर राशि के जातकों को अपने ऊपर शिव की कृपा बनाए रखने के लिए नियमित रूप से मंदिर भी जाना चाहिए।
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कुंभ राशि: कुंभ ताशी पर भी शनि का शासन है। अत: यह राशि भगवान शिव की प्रिय राशि है। कुंभ राशि वाले अगर श्रद्धापूर्वक भगवान शिव की पूजा करेंगे तो शिव उनसे जरूर प्रसन्न होंगे। शिव की कृपा और तेज से कुंभ राशि के जातकों के जीवन में सुख-समृद्धि की कोई कमी नहीं होती है और वे जीवन में खूब प्रगति करते हैं। इस राशि के जातकों को श्रावण मास में भगवान शंकर का रुद्राभिषेक करना चाहिए और गन्ने के रस से शिवलिंग का अभिषेक करना चाहिए।