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22 July History: क्यों India के इतिहास में आज के दिन का है खास महत्व

 

आज हम भारत के राष्ट्रीय झंडे को जिस तरह से देख रहे हैं, शुरुआत में यह ऐसा नहीं था। हमारे राष्ट्रीय ध्वज के विकास में कुछ ऐतिहासिक मील के पत्थर हैं जिन्होंने अलग-अलग झंडे को अलग-अलग रंग और पहचान दी।

साल 1931 वो वर्ष है जो राष्‍ट्रीय ध्‍वज के इतिहास में यादगार करार दिया जाता है। भारत की आजादी के इतिहास में 22 जुलाई की तारीख का एक खास महत्त्व है। यह दिन देश के राष्ट्रीय ध्वज से जुड़ा है। दरअसल वह 22 जुलाई का दिन था, जब संविधान सभा ने तिरंगे को देश के राष्ट्रीय ध्वज के तौर पर अंगीकार किया था।

 ध्वज में तीन रंग के होने की वजह से इसे 'तिरंगा' भी कहते हैं। हमारे राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे को पिंगली वेंकैया ने डिजाइन किया था। गौरतलब है कि सेना में काम कर चुके पिंगली वेंकैया को महात्मा गांधी ने तिरंगे को डिजाइन करने की जिम्मेदारी सौंपी थी। 

19वीं सदी में जब भारत पर ब्रिटिश शासन था तो उस समय कई तरह के झंडे देश के अलग-अलग राज्‍यों के शासकों की तरफ से प्रयोग किए जा रहे थे। मगर सन् 1857 में जब स्‍वतंत्रता संग्राम छिड़ा तो इस बात पर विचार किया गया कि एक समान ध्‍वज देश की जरूरत है। हालांकि कुछ लोग यह भी कहते हैं कि 22 जुलाई 1947 को तिरंगे के तौर पर संविधान सभा ने मान्‍यता दी थी।