
मंदिर में देवी-देवताओं के मूर्तियों की पूजा करते समय शुद्ध देसी घी यानि कि गाय के घी का दीपक जलाने को उत्तम माना गया है।
हिन्दू संस्कृति में दीपक जलाकर ही मूर्ति पूजा करने की परम्परा आदि काल से चली आ रही है। बगैर दीपक जलाए किसी मंदिर में देवी-देवताओं की पूजा करना या फिर अपने घर में रखे देवी-देवताओं की मूर्तियों की पूजा करना अधुरा रहता है।
मंदिर में दीपक क्यों जलाते हैं?
मानव शरीर इन पांच तत्वों से मिलकर बना होता है- पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश। यानि कि हमारे शरीर की रचना में अग्नि का प्रमुख स्थान होता है।
ऐसी मान्यता है कि अग्नि देव की उपस्थिति में उन्हें साक्षी मानते हुए किये गए कामों में सफलता मिलने की संभावना बढ़ जाति है। प्रज्वलित दीपक में अग्नि देव का वास होता है। इसीलिए अपने शुभ कार्यों में सफलता प्राप्त करने के लिए या फिर मंदिर में भगवान् की पूजा-अर्चना करते समय अपनी भक्ति भाव को सफल बनाने दीपक जलाने की परम्परा है।
दीपक जलाने का महत्व क्या है?
1. गाय का घी में रोग उत्पन्न करने वाले कीटाणुओं को मारने की क्षमता होती है। घी के दीपक जलाने से घी के सूक्ष्म कण मंदिर या घर के वातावरण में फ़ैल जाते हैं। घी के इन असंख्य सूक्ष्म कणों के संपर्क में आकर हानिकारक कीटाणु खुद-ब-खुद मर जाते हैं।
2. गाय के घी का दीपक जलाने से घर या मन्दिर का वातावरण सुगन्धित हो जाता है, जो हमारे दिमाग और मन को शांत रखता है।
3. इसके अलावा मंदिर में घी के दीप जलाने से वातावरण शुद्ध होता है और प्रदुषण दूर होता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि इससे हवा में घुली हुई कार्बन-डाइऑक्साइड नष्ट होती है।