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OMG थाइलैंड के किसान खिला रहे मुर्गियों को भांग, जानिए ऐसा क्यों कर रहे हैं?

 

थाईलैंड में किसान अपने मुर्गियों को एंटीबायोटिक दवाओं से बचाने के लिए भांग खिला रहे हैं। थाईलैंड के उत्तर में, उत्तरी शहर लैम्पांग में पोल्ट्री फार्म वाले किसानों ने विशेषज्ञों के कहने पर पॉट-पोल्ट्री प्रोजेक्ट (पीपीपी) शुरू किया है। चियांग माई विश्वविद्यालय के कृषि विभाग के विशेषज्ञों के कहने पर परियोजना शुरू की गई है। इस बारे में पहली रिपोर्ट ना नेशन थाईलैंड में प्रकाशित हुई थी।

किसानों ने कहा कि उनके मुर्गियों को एंटीबायोटिक्स दी जा रही हैं। लेकिन उसके बाद भी मुर्गियों को एवियन ब्रोंकाइटिस नाम की बीमारी हो रही है।  इसके बाद इन मुर्गियों को पीपीपी के तहत भांग के आहार पर रखा गया। यहां कुछ फार्म ऐसे हैं, जिनके पास भांग उगाने का लाइसेंस है। उन्हें यह देखना था कि मुर्गियों के स्वास्थ्य पर गांजा का क्या लाभ होता है।
 
पीपीपी प्रयोग में 1000 से अधिक मुर्गियों को अलग-अलग मात्रा में भांग की अलग-अलग खुराक दी गई। ताकि उन पर अलग-अलग असर देखा जा सके। उनमें से किसी को सीधे पत्ते दिए गए, तो किसी को भांग को पानी में घोलकर दिया गया। इसके बाद वैज्ञानिक लगातार मुर्गियों पर नजर रख रहे थे। इससे मुर्गियों के विकास, स्वास्थ्य और उन्हें मिलने वाले मांस और अंडों पर क्या फर्क पड़ रहा है? विशेषज्ञों ने अभी तक इस प्रयोग पर कोई डेटा प्रकाशित नहीं किया है, लेकिन उनका दावा है कि जिन मुर्गियों को भांग खिलाया गया था, उनमें से कुछ ही मुर्गियों को एवियन ब्रोंकाइटिस की बीमारी हो रही है। वो भी कम मात्रा में। प्रयोग का मुर्गियों के मांस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। न ही मुर्गियों के व्यवहार में कोई बदलाव आया। स्थानीय लोगों ने भांग खाने वाले मुर्गों को पकाकर चावल के साथ खाया, लेकिन उन्हें भी कोई परेशानी नहीं हुई। अब इस प्रयोग की सफलता के बाद कई किसान खुद आगे आ रहे हैं और अपने मुर्गियों को भांग खिलाने के प्रोजेक्ट से जुड़ रहे हैं।  किसान चाहते हैं कि अगर भांग से बिना किसी नुकसान के मुर्गियों को एंटीबायोटिक और बीमारियों से बचाया जा सके तो इसमें कोई बुराई नहीं है। थाईलैंड ने इस महीने भांग पर अपने नियमों में थोड़ी ढील दी है। थाईलैंड एशिया का पहला देश है जिसने भांग को गैर-अपराधी से मुक्त किया है। लेकिन किसी अन्य तरीके से भांग का सेवन करने पर कड़ी सजा का प्रावधान है।