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Sawan Special: साल में केवल एक बार खुलता है भगवान शिव का यह मंदिर, दर्शन का लाभ लेते हैं लाखों श्रद्धालु, यहाँ है पूरी डिटेल

 

मध्य प्रदेश के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है नागचंद्रेश्वर मंदिर। यह मंदिर महाकालेश्वर मंदिर के परिसर में स्थित है। नाग पंचमी को भगवान नागचंद्रेश्वर के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है जिनका मंदिर उज्जैन में 11 वीं शताब्दी के महाकालेश्वर मंदिर की दूसरी मंजिल पर स्थित है। मंदिर के अंदर शेषनाग पर भगवान शिव और देवी पार्वती की दुर्लभ मूर्तियाँ हैं।

साल में एक बार खुलता है


नागचंद्रेश्वर मंदिर की अनूठी विशेषता यह है कि इसके कपाट नाग पंचमी के दिन ही भक्तों के लिए खुलते हैं। मंदिर साल भर बंद रहता है। हालांकि श्रद्धालुओं को नागचंद्रेश्वर मंदिर के अंदर पूजा-अर्चना करने की अनुमति नहीं होगी। यह केवल नाग पंचमी के दिन 24 घंटे के लिए खुला था। मध्यरात्रि में विशेष पूजा के साथ मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए। कपाट रात 12 बजे बंद हो जाएगा।

नाग पंचमी के अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु श्री नागचंद्रेश्वर की पूजा करने उज्जैन पहुंचे। श्रद्धालुओं को पहली बार फुटओवर ब्रिज के जरिए नागचंद्रेश्वर मंदिर में प्रवेश की इजाजत दी गई है। हिंदू धर्म में नागों की पूजा करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। इस दौरान लाखों श्रद्धालु भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन करेंगे। इसे देखते हुए प्रशासन ने महाकालेश्वर मंदिर के भक्तों की वेबसाइट और मोबाइल एप के लिए व्यापक इंतजाम किए हैं।

इतिहास कहता है कि इस मंदिर में मूर्ति को नेपाल से स्थानांतरित किया गया था। यहां शिव अपनी पत्नी देवी पार्वती और उनके पुत्र गणेश के साथ विराजमान हैं। शिव के गले और भुजाओं से लटके हुए सांप मूर्ति को एक अलग रूप देते हैं। कहा जाता है कि नागराज तक्षक ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए घोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान ने उन्हें अमरत्व का वरदान दिया। किंवदंतियों की मानें तो नागचंद्रेश्वर मंदिर में श्रद्धा करने के बाद किसी भी प्रकार के सर्पदोष से छुटकारा मिल सकता है।