Ajab Gajab: कोई बायां कदम रख कर अंदर आता तो उस से नहीं मिलता था ये बादशाह, करता था पर्दा, जानें कौन है
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एक मुग़ल बादशाह का उल्लेखनीय तथ्य है कि वह पर्दा करते थे और उनके दरबार में अपने खास नियम थे। वे बादशाह थे जो हर आने वाले व्यक्ति के कदमों को देखकर निर्णय करते थे कि क्या वे उससे मिलेंगे या नहीं। जब कोई व्यक्ति दरबार में पहले दाहिने पैर से कदम रखता था, तो बादशाह उसे तुरंत बाहर निकाल देते थे और कहते थे कि दरबार में प्रवेश करने के लिए पहले बायां पैर से कदम रखना चाहिए। इसका मतलब था कि बादशाह के पास पहुंचने के लिए व्यक्ति के कदमों को बिल्कुल सही तरीके से पड़ना चाहिए। हम बात कर रहे हैं हुमायूं की। कुछ इतिहासकार इसे बादशाह के दरबार के प्रोटोकॉल के रूप में समझते हैं, जिसमें सुरक्षा का महत्वपूर्ण स्थान होता था।
इसके अलावा, हुमायूं को ज्योतिष यानी ग्रहों का विश्वास था और वह ज्योतिष के प्रति आकर्षित थे। वे ज्योतिष की सलाह पर विश्वास करते थे और अपनी दिनचर्या और पहनावे को भी ज्योतिष के आधार पर तय करते थे। हुमायूं का हाथ भी अंगूठियों से भरा रहता था। वे अपने दिन के अनुसार विभिन्न रंगों के वस्त्र पहनते थे और इसके लिए एक खास प्रोटोकॉल बनाए रखते थे। यहां तक कि उनके हाथों में बहुत सारी अंगूठियां रहती थीं।
हुमायूं के बारे में और एक रोचक तथ्य यह है कि वे दरबार में आने वाले के कदमों को देखकर यह निर्णय लेते थे कि किसे मिलेंगे और किसे वापस लौटाएंगे। अगर कदम सही तरीके से नहीं पड़ते थे, तो हुमायूं व्यक्ति से मिलने से इंकार कर देते थे।
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यह था हुमायूं का प्रारंभिक जीवन
हुमायूं का जन्म 6 मार्च 1508 को काबुल, अफगानिस्तान में हुआ था। उनके पिता बाबर ने उनका नाम हुमायूं नसीरुद्दीन मुहम्मद रखा था, जिसका अर्थ था 'सौभाग्यशाली'। हुमायूं को केवल 12 वर्ष की आयु में ही बदख्शा का सूबेदार बना दिया था, और उनके जीवन के अगले परिपेक्ष्य में इसका महत्वपूर्ण योगदान था। जाने माने इतिहासकार लेनपुल के मुताबिक, हुमायूं का जन्म होते ही सप्ताह के सात विभिन्न रंगों के वस्त्र पहनने की आदत डाल ली थी। वह अपने दिनचर्या को इन रंगों के साथ मेलापूर्वक साथ लाते थे, और इसे भाग्यशाली मानते थे। उनके हाथ में कई तरह की अंगूठियां होती थी, जो उनके भविष्य के संकेत बताने के लिए होती थीं।
बादशाह हुमायूं के शासनकाल में दरबार के तौर-तरीकों को विकसित किया गया और वह इसे अपने पूरे जीवन में निभाया। उन्होंने यह बातें स्थापित की जिनका पालन उनके पिता बाबर भी करते थे। इस रूप में, हुमायूं ने अपने दरबार को अपनी सुरक्षा और प्रोटोकॉल के साथ व्यापक रूप से बढ़ाया। वे ज्योतिष के प्रति भी आसक्ति रखते थे और उन्हें नजूमी, यानी ग्रहों के स्थितियों का महत्व था।
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बाबर की मौत के बाद, हुमायूं ने मुग़ल सल्तनत का संचालन संभाला और वे मुग़ल साम्राज्य की स्थापना करने के लिए अपने पिता के केवल चार वर्ष बाद ही इस कठिनाई से सामना करने पर मजबूर हो गए थे। उनका राज्याभिषेक 23 वर्ष की आयु में हुआ था, और इसके बाद उन्होंने अपने शासनकाल को अपनी विशेष अद्भुतता और नियमों के साथ चलाया।
हुमायूं का प्रारंभिक जीवन और उनके विशेष अनुषासन का यह विवरण हमें उनके समय के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करता है, जो मुग़ल साम्राज्य की स्थापना के प्रारंभिक दौर में हुआ था।