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Health Tips- कल है गणेश चतुर्थी, इस तरह करें पूजा और खोले व्रत

 

गणेश चतुर्थी, पूरे भारत में व्यापक रूप से मनाया जाने वाला त्योहार है, जो आषाढ़ महीने में कृष्ण पक्ष के चौथे दिन आता है। इसमें भगवान गणेश की पूजा की जाती है, भक्त पारंपरिक रूप से उनकी मूर्ति को दस दिनों की अवधि के लिए अपने घरों में रखते हैं, जिसके बाद ग्यारहवें दिन नदी में विसर्जन किया जाता है। गणेश चतुर्थी पर उपवास एक आम प्रथा है, जो भगवान गणेश के जन्म का जश्न मनाता है। ऐसे में जब शाम को व्रत खोला जाता है तो लोग जल्दी बाजी में ऐसे आहार खा लेते हैं जिनकी वजह से सेहत पर बुरा असर हो सकता हैं, आइए जानें कि किस प्रकार आप सेहतमंद तरीके से अपना व्रत खोल सकते हैं-

गणेश चतुर्थी, पूरे भारत में व्यापक रूप से मनाया जाने वाला त्योहार है, जो आषाढ़ महीने में कृष्ण पक्ष के चौथे दिन आता है। इसमें भगवान गणेश की पूजा की जाती है, भक्त पारंपरिक रूप से उनकी मूर्ति को दस दिनों की अवधि के लिए अपने घरों में रखते हैं, जिसके बाद ग्यारहवें दिन नदी में विसर्जन किया जाता है।

गणेश चतुर्थी व्रत के संबंध में मुख्य बातें:

भगवान गणेश और शमी वृक्ष की पूजा चतुर्थी व्रत के दौरान भगवान गणेश की पूजा के साथ-साथ शमी वृक्ष की पूजा करने का भी विधान है। ऐसा माना जाता है कि इस अनुष्ठान से गरीबी और परेशानियां दूर होती हैं।

सिन्दूर लगाना: भगवान गणेश की पूजा करते समय सबसे पहले उनकी मूर्ति पर सिन्दूर लगाएं और फिर अपने माथे पर सिन्दूर लगाएं। ऐसा कहा जाता है कि यह अभ्यास अच्छा स्वास्थ्य प्रदान करता है और भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त करता है।

मोदक का भोग लगाएं: भगवान गणेश को मोदक बहुत पसंद हैं इसलिए पूजा के बाद उन्हें मोदक का भोग लगाना जरूरी है।

गणेश चतुर्थी, पूरे भारत में व्यापक रूप से मनाया जाने वाला त्योहार है, जो आषाढ़ महीने में कृष्ण पक्ष के चौथे दिन आता है। इसमें भगवान गणेश की पूजा की जाती है, भक्त पारंपरिक रूप से उनकी मूर्ति को दस दिनों की अवधि के लिए अपने घरों में रखते हैं, जिसके बाद ग्यारहवें दिन नदी में विसर्जन किया जाता है।

ग्यारह दूर्वा एवं संकटनाशन गणेश स्तोत्र: पूजा के समय भगवान गणेश के पेट पर ग्यारह दूर्वा चिपका दें। इसके बाद संकटनाशन गणेश स्तोत्र का पाठ करें और 'ओम गं गणपतये नम:' मंत्र का 108 बार जाप करें।

गणेश चतुर्थी व्रत तोड़ना:

सुबह की रस्में: दिन की शुरुआत जल्दी उठकर स्नान करके करें। इसके बाद सूर्य देव का ध्यान करें और उन्हें जल अर्पित करें। हाथ में चावल और जल लेकर व्रत का संकल्प करें। अपने घर के मंदिर में एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर भगवान गणेश की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करके पूजा करें। देसी घी का दीपक जलाएं और भगवान गणेश को मोदक या लड्डू का भोग लगाएं।

चंद्रमा की पूजा: इस व्रत के समापन में चंद्रमा की पूजा का बहुत महत्व है। शाम को चंद्रमा देखने के बाद ही व्रत खोलना चाहिए। बहुत से लोग पाल पायसम, चावल का हलवा, या फराली खाद्य पदार्थ जैसे व्यंजन खाकर उपवास तोड़ना चुनते हैं।