Vastu Tips- क्या बच्चा होने में हो रही हैं परेशानी, तो अपनाएं ये वास्तु टिप्स, घर में गूंजेगी किलकारियां

अक्सर कहा जाता है कि एक घर का सार उसके आंगन में गूंजती बच्चों की हंसी में है। दुर्भाग्य से, कुछ विवाहित जोड़े खुद को इस खुशी से वंचित पाते हैं, ऐसे वास्तु शास्त्र बताते है कि इसका मूल कारण घर के भीतर वास्तु दोषों की उपस्थिति हो सकता है। घर के डिज़ाइन और वस्तुओं के स्थान में जानबूझकर या अनजाने में की गई गलतियाँ अवांछित चुनौतियों का कारण बन सकती हैं। लेकिन वास्तु शास्त्र इन गलतियों का समाधान बताता हैं, आइए जानते हैं इनके बारे में
पश्चिम दिशा का महत्व:
वास्तु शास्त्र के अनुसार घर की पश्चिम दिशा संतान सुख में अहम भूमिका निभाती है। इस दिशा में वास्तु उपाय लागू करने से घर में सकारात्मकता का संचार हो सकता है। पश्चिम दिशा में धातु की सजावटी वस्तुएं रखने से संतान प्राप्ति की संभावना बढ़ जाती है।
पश्चिम मुखी दरवाज़ों और खिड़कियों के लिए सजावट:
यदि आपके घर में दरवाजे और खिड़कियां पश्चिम की ओर हैं, तो इस दिशा में धातु के रंग के पर्दे या फर्नीचर का उपयोग करने की सलाह दी जाती है। माना जाता है कि यह प्रथा संतान प्राप्ति की इच्छा को पूरा करने के लिए वास्तु सिद्धांतों के अनुरूप है।
भगवान कृष्ण का आशीर्वाद:
शयनकक्ष में भगवान कृष्ण के बाल रूप, जिन्हें लड्डू गोपाल के नाम से जाना जाता है, की तस्वीर लगाना शुभ परिणाम दे सकता है। हालाँकि, ऐसी छवियों से बचना ज़रूरी है जो ध्यान भटका सकती हैं या डर पैदा कर सकती हैं, जिससे सकारात्मकता के लिए अनुकूल शांत वातावरण सुनिश्चित हो सके।
सोने की दिशा मायने रखती है:
वास्तु विशेष रूप से माता-पिता बनने की इच्छा रखने वालों के लिए सोने की दिशा के महत्व पर जोर देता है। शास्त्रों के अनुसार पत्नी को पति के बायीं ओर सोना चाहिए। गलत दिशा में सोने को गर्भधारण में संभावित बाधा माना जाता है।
प्रजनन क्षमता का प्रतीक:
उर्वरता का प्रतीक मानी जाने वाली अनार और जौ जैसी वस्तुओं को रणनीतिक रूप से घर में रखा जा सकता है। कमरे में इन वस्तुओं की तस्वीरें लगाने से बच्चे के गर्भधारण की संभावना बढ़ जाती है। वास्तु दिशानिर्देशों के अनुसार, अकेले व्यक्तियों की तस्वीरें लगाने से बचना महत्वपूर्ण है।