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Astro Gyan: भोलेनाथ के इस मंत्र का जाप करने से असाध्य रोगों का होता है नाश

 

हिंदू धर्म में करोड़ो देवी देवता है लेकिन जब भी बात भगवान शिव की आती है तो इन्हें सबसे सर्वोपरी माना जाता है। हो भी क्यों न भला भगवान शिव को देवों के देव महादेव कहा गया है, तभी तो माता पार्वती ने भी इनको अपने पति के रूप में प्राप्त करने के लिए कड़ी साधना और कई जतन करने पड़े थे। इसके बाद भोलेनाथ ने उनका निवेदन स्वीकार कर उनको अर्द्धांगिनी के रूप में अपनाया था।



कहा जाता है कि कई सारे दानवों और राक्षसों ने भी महादेव की आराधना कर उनसे अपने मन की मुराद को पूरा करवाया है। कहते हैं कि भगवान शिव मन के बेहद ही भोले हैं तभी तो यह जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं और जिसपर प्रसन्न होते हैं उसकी झोली खुशियों से भर देते हैं। शास्त्रों में बताया गया है कि कलयुग में मानव कई तरह से, सहज-सरल तरीके से भगवान शिव की आराधना कर उनकी कृपा प्राप्त कर सकता है।

Astro Gyan: भोलेनाथ के इस मंत्र का जाप करने से असाध्य रोगों का होता है नाश


आज हम आपको एक ऐसे मंत्र के बारे में बताने जा रहे हैं जिसका जाप कर आप भगवान शिव की कृपा प्राप्त कर सकते हैं

जिस मंत्र के बारे में हम बात कर रहे हैं वो कोई और मंत्र नहीं बल्कि शिव पंचाक्षरी मंत्र ‘नम: शिवाय’ है जो कि सभी मंत्रों में एक संजीवनी बूटी की तरह है। जी हां इस मंत्र के श्रद्धापूर्वक जाप करने से मानव के कई जन्मों के पापों का नाश हो जाता है। इतना ही नहीं वह इस लोग में पुत्र, धन, संपदा और सभी भौतिक सुखों को प्राप्त कर परलोकवासी होने पर कैलाशपति शिव के चरणों में निवास करता है।

जो भी व्यक्ति शिव पंचाक्षरी मंत्र ‘नम: शिवाय’ का जाप करता है उसे अलग अलग जगहों पर सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।

सबसे पहले तो बता दें कि गंगा, यमुना आदि पवित्र नदियों अगर इस मंत्र का जाप एक लाख बार करें तो यह दस हजार हवन करने के बराबर होता है।

Astro Gyan: भोलेनाथ के इस मंत्र का जाप करने से असाध्य रोगों का होता है नाश

इसके अलावा शनिवार के दिन अगर पीपल के वृक्ष को छूकर इस मंत्र का जाप करते हैं तो आपसे अकालमृत्यु का भय दूर होता है।

चन्द्रग्रहण और सूर्यग्रहण के समय समर्पित भाव से भोलेनाथ के समीप दस हजार जप करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

इतना ही नहीं आप चाहे तो अपने दोनों हांथों के अंजरी में जल लेकर शिव का ध्यान करते हुए ग्यारह बार पंचाक्षर मन्त्र का जप करके उस जल से शिवजी का अभिषेक करने से अपार विद्या और लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।

इसके अलावा इस मन्त्र का एक लाख जप करने और नित्य १०८ आक की समिधा से हवन करने से असाध्य रोग से मुक्ति मिल जाती है।

कहा तो यह भी गया है कि अगर कोई व्यक्ति भोजन करने से पहले ग्यारह बार पंचाक्षर मन्त्र का जाप करता है तो उसका भोजन भी अमृत के समान हो जाता है।