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Krishna Janmashtami: श्रीकृष्ण को आखिर क्यों अपनी जन्मभूमि मथुरा को छोड़ना पड़ा? पढ़ें यहाँ

 

PC: IndiaTimes

कई राज्यों में आज कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार बड़े ही उत्साह और उल्लास के साथ मनाया जाने वाला है। पुराणों में जन्माष्टमी को लेकर कई रोचक कथाएं वर्णित हैं। मथुरा, वृन्दावन सहित कई धार्मिक स्थानों पर जन्माष्टमी का विशेष महत्व है। भगवान कृष्ण के बचपन से लेकर युवावस्था तक की कई कहानियां लोगों के बीच बताई जाती हैं। लेकिन भगवान कृष्ण को अपनी जन्मभूमि मथुरा क्यों छोड़नी पड़ी?, क्या आप जानते हैं इसका कारण?, आइए जानते हैं।

भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली मथुरा उन्हें बहुत प्रिय थी। उनका पूरा बचपन गोकुल, वृन्दावन, नंदगांव और बरसाना के इलाकों में बीता। श्रीकृष्ण ने क्रूर मामा कंस का वध करके अपने माता-पिता को कारागार से मुक्त कराया। इसके बाद प्रजा के अनुरोध पर कृष्ण ने मथुरा के संपूर्ण राज्य पर अधिकार कर लिया। लेकिन कंस को मारने के बाद जरासंध कृष्ण का कट्टर शत्रु बन गया। जरासंध अपने साम्राज्य का विस्तार करना चाहता था इसलिए उसने कई राजाओं को हराया और मार डाला। जरासंध का उद्देश्य मथुरा पर कब्ज़ा करके कृष्ण से बदला लेना था। इसलिए उसने मथुरा पर 18 बार आक्रमण किया। लेकिन उनमें से कई बार वह मथुरा पर विजय प्राप्त करने में असफल रहा।

मथुरा की जनता निरंतर युद्ध से थक चुकी थी। इसलिए कृष्ण ने सभी नागरिकों के साथ मथुरा छोड़ने का फैसला किया। श्रीकृष्ण ने यह नीति बनाई थी कि वे युद्ध से भागे बिना एक निश्चित, चुने हुए स्थान के लिए युद्ध करेंगे। तब कृष्ण ने द्वारका शहर की स्थापना की। सुरक्षा के लिए पूरे शहर को चारों तरफ से किलेबंद कर दिया गया था। उसके बाद कृष्ण ने इस नये नगर पर 36 वर्षों तक शासन किया। भगवान कृष्ण देवकी और वासुदेव अनकदुंदुभि के पुत्र हैं। भगवान कृष्ण के जन्मदिन को जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है। वैष्णव परंपरा में कृष्ण को सर्वोच्च देवता माना जाता है। पुराणों के अनुसार कृष्ण का जन्म भाद्रपद माह की अष्टमी तिथि को हुआ था।