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Navratri Special- नवरात्रि में इस दिशा में जलाएं मॉ की अखंड ज्योति, बनेंगे बिगड़े काम

 

15 अक्टूबर से शुरू होने वाली शारदीय नवरात्रि के नजदीक आते ही लोग अपने घरों में देवी माँ की दिव्य स्वागत करने के लिए तैयार हो जाते हैं, इन नौ पवित्र दिनों के दौरान, भक्त विभिन्न अनुष्ठानों और प्रार्थनाओं के माध्यम से देवी का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं, जो हिंदू कैलेंडर में एक महत्वपूर्ण अवधि को दर्शाते है। नवरात्रि उत्सव के आवश्यक पहलुओं में से एक अखंड ज्योति जलाना है, जो देवी मां की शाश्वत लौ का प्रतीक है। इस दौरान वास्तु के सिद्धांतों का पालन यह सुनिश्चित करता है कि आपके घर में दैवीय ऊर्जा सामंजस्यपूर्ण रूप से प्रवाहित हो।

15 अक्टूबर से शुरू होने वाली शारदीय नवरात्रि के नजदीक आते ही लोग अपने घरों में देवी माँ की दिव्य स्वागत करने के लिए तैयार हो जाते हैं, इन नौ पवित्र दिनों के दौरान, भक्त विभिन्न अनुष्ठानों और प्रार्थनाओं के माध्यम से देवी का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं, जो हिंदू कैलेंडर में एक महत्वपूर्ण अवधि को दर्शाते है। नवरात्रि उत्सव के आवश्यक पहलुओं में से एक अखंड ज्योति जलाना है, जो देवी मां की शाश्वत लौ का प्रतीक है। इस दौरान वास्तु के सिद्धांतों का पालन यह सुनिश्चित करता है कि आपके घर में दैवीय ऊर्जा सामंजस्यपूर्ण रूप से प्रवाहित हो।

घ्यान देने योग्य बातें:

1.नवरात्रि पूजा का महत्व:

नवरात्रि, एक प्रमुख हिंदू त्योहार है, जो अश्विन माह में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होकर, ठीक 15 अक्टूबर को नौ दिनों तक चलने वाला उत्साहपूर्ण भक्ति और उत्सव है। भक्तों का मानना है कि इस अवधि के दौरान, देवी दुर्गा हर घर में मौजूद रहती हैं, आशीर्वाद और सुरक्षा प्रदान करती हैं।

2. अखंड ज्योति जलाने की रस्म:

नवरात्रि पूजा में मध्य में देवी मां की अखंड ज्योति, अखंड ज्योति जलाने की परंपरा है। यह अनुष्ठान आवश्यक माना जाता है, जो घर में दैवीय ऊर्जा की सतत उपस्थिति का प्रतीक है। ऐसा माना जाता है कि दीपक के लगातार जलने से देवी का आशीर्वाद निरंतर मिलता रहता है।

15 अक्टूबर से शुरू होने वाली शारदीय नवरात्रि के नजदीक आते ही लोग अपने घरों में देवी माँ की दिव्य स्वागत करने के लिए तैयार हो जाते हैं, इन नौ पवित्र दिनों के दौरान, भक्त विभिन्न अनुष्ठानों और प्रार्थनाओं के माध्यम से देवी का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं, जो हिंदू कैलेंडर में एक महत्वपूर्ण अवधि को दर्शाते है। नवरात्रि उत्सव के आवश्यक पहलुओं में से एक अखंड ज्योति जलाना है, जो देवी मां की शाश्वत लौ का प्रतीक है। इस दौरान वास्तु के सिद्धांतों का पालन यह सुनिश्चित करता है कि आपके घर में दैवीय ऊर्जा सामंजस्यपूर्ण रूप से प्रवाहित हो।

3. अखंड ज्योति के लिए वास्तु दिशानिर्देश:

वास्तु के अनुसार, अखंड ज्योति को आग्नेय कोण, विशेष रूप से पूर्व-दक्षिण दिशा में रखना महत्वपूर्ण है। पूजा के दौरान यह सुनिश्चित करें कि लौ का मुख पूर्व या उत्तर की ओर हो।

4. ज्वाला दिशा का महत्व:

नवरात्र के दौरान अखंड ज्योति की लौ का ऊपर की ओर उठना जरूरी है। ऊपर की ओर जाने वाली यह दिशा अत्यधिक शुभ मानी जाती है, जो सकारात्मक ऊर्जा और दैवीय आशीर्वाद के उदय का प्रतीक है।