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Phalgun 2024- फाल्गुन में बाल गोपाल का इस तरह करें अभिषेक, मिलेगा धन और सुख

 

हिंदू परंपराओं में वैसे तो हर महीने का महत्व है, फिर भी फाल्गुन का महीना अलग ही मायने रखता है। हिंदू कैलेंडर में बारहवें महीने के रूप में, फाल्गुन को कई त्योहारों और उत्सवों से सजाया जाता है, जिनमें विशेष रूप से होली और महाशिवरात्रि शामिल हैं।

फाल्गुन महीना क्यों महत्वपूर्ण है:

फाल्गुन माह का सनातन धर्म में बहुत महत्व है, यह महीना भगवान शिव और श्रीकृष्ण के प्रति श्रद्धा का प्रतीक है। ऐसा माना जाता है कि फाल्गुन के दौरान इन देवताओं की भक्तिपूर्वक पूजा करने से जीवन की परेशानियां को दूर किया जा सकता है। इस वर्ष 25 फरवरी से शुरू होकर 25 मार्च को समाप्त होने वाला फाल्गुन भक्तों को अनुष्ठानों और प्रार्थनाओं में शामिल होने के लिए प्रेरित करता है, विशेष रूप से भगवान कृष्ण के बचपन के रूप बाल गोपाल पर ध्यान केंद्रित करता है।

हिंदू परंपराओं में वैसे तो हर महीने का महत्व है, फिर भी फाल्गुन का महीना अलग ही मायने रखता है। हिंदू कैलेंडर में बारहवें महीने के रूप में, फाल्गुन को कई त्योहारों और उत्सवों से सजाया जाता है, जिनमें विशेष रूप से होली और महाशिवरात्रि शामिल हैं।

फाल्गुन 2024 में लड्डू गोपाल अभिषेक विधि:

शुद्धिकरण से शुरुआत करें: सुबह जल्दी उठें, स्नान करके खुद को शुद्ध करें और ध्यान के माध्यम से भगवान कृष्ण का आह्वान करें।

आचमन अनुष्ठान: समारोह की शुरुआत आचमन अनुष्ठान से करें। खुद को आध्यात्मिक रूप से शुद्ध करने के लिए गंगाजल से तीन बार आचमन करें।

बाल गोपाल को स्नान कराना: पवित्रता और शुभता के प्रतीक तुलसी के पत्तों से युक्त शुद्ध जल से बाल गोपाल को स्नान कराएं। इसके अतिरिक्त, अतिरिक्त पवित्रता के लिए केसर युक्त दूध से गोपाल का अभिषेक करें। वैकल्पिक रूप से, यदि उपलब्ध न हो तो दूध में हल्दी मिलाकर केसर का स्थान लिया जा सकता है।

हिंदू परंपराओं में वैसे तो हर महीने का महत्व है, फिर भी फाल्गुन का महीना अलग ही मायने रखता है। हिंदू कैलेंडर में बारहवें महीने के रूप में, फाल्गुन को कई त्योहारों और उत्सवों से सजाया जाता है, जिनमें विशेष रूप से होली और महाशिवरात्रि शामिल हैं।

देवता का श्रृंगार: बाल गोपाल की मूर्ति पर चंदन का लेप लगाएं, जो दिव्य सुगंध और पवित्रता का प्रतीक है। मूर्ति को तिल मिश्रित पानी से साफ करें, जो अपने शुद्धिकरण गुणों के लिए जाना जाता है।

भगवान को प्रसाद: देवता के हाथों में शहद में डूबे हुए फूल चढ़ाएं, इसके बाद देसी घी लगाकर जल अर्पित करें। इसके बाद बाल गोपाल को साफ कपड़े से धीरे-धीरे पोछें और उन्हें ताजे वस्त्र पहनाएं।

श्रंगार और भक्ति: मूर्ति को सुगंधित इत्र से सुशोभित करें और उन्हें चमकीले फूलों की माला पहनाएं। उत्सव के प्रतीक के रूप में, देवता को गुलाल (रंगीन पाउडर) चढ़ाएं।

पूजा का समापन: भगवान के प्रति श्रद्धा और कृतज्ञता व्यक्त करते हुए प्रार्थना और आरती करके अनुष्ठान का समापन करें।