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Vastu Tips- आइए जानते हैं बसंत पंचमी के दिन क्या करें और क्या नहीं, मिलेगा मॉ का आर्शिवाद

 

सनातन धर्म की समृद्ध परंपरा में बसंत पंचमी का त्योहार एक विशेष स्थान रखता है, जो माघ महीने की जीवंतता के बीच मनाया जाता है। यह शुभ अवसर देवी सरस्वती की पूजा के साथ-साथ व्रतों के पालन के इर्द-गिर्द घूमता है। भक्तों का मानना है कि इन अनुष्ठानों से उन्हें देवी मां की असीम कृपा प्राप्त होती है।

इस साल देशभर में बसंत पंचमी 14 फरवरी को मनाई जाएगी. जैसे-जैसे यह महत्वपूर्ण तिथि नजदीक आ रही है, यह समझना आवश्यक है कि इस शुभ समय के दौरान क्या कार्य करना चाहिए और क्या करने से बचना चाहिए, आइए जानते है इसके बारे में-

सनातन धर्म की समृद्ध परंपरा में बसंत पंचमी का त्योहार एक विशेष स्थान रखता है, जो माघ महीने की जीवंतता के बीच मनाया जाता है। यह शुभ अवसर देवी सरस्वती की पूजा के साथ-साथ व्रतों के पालन के इर्द-गिर्द घूमता है। भक्तों का मानना है कि इन अनुष्ठानों से उन्हें देवी मां की असीम कृपा प्राप्त होती है।

करने योग्य:

देवी सरस्वती की करें पूजा: ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार, बसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती की पूजा विधि-विधान से करने से शिक्षा में सफलता मिलती है और बाधाएं दूर होती हैं। सरस्वती मंत्र का जाप करना भी अत्यंत शुभ माना जाता है।

केसर हलवा चढ़ाएं: देवी को प्रसाद के रूप में केसर हलवा बनाएं और इसे उपस्थित सभी लोगों में वितरित करें। ऐसा माना जाता है कि यह कार्य प्रतिभागियों को पुण्य प्रदान करता है।

पुस्तकों को साफ और सम्मान दें: ज्ञान और बुद्धिमत्ता का सम्मान करते हुए अपनी पुस्तकों और परिवेश को साफ करें। उत्सव के दौरान अतिरिक्त लाभ के लिए माँ सरस्वती को समर्पित भजन गाएँ।

सनातन धर्म की समृद्ध परंपरा में बसंत पंचमी का त्योहार एक विशेष स्थान रखता है, जो माघ महीने की जीवंतता के बीच मनाया जाता है। यह शुभ अवसर देवी सरस्वती की पूजा के साथ-साथ व्रतों के पालन के इर्द-गिर्द घूमता है। भक्तों का मानना है कि इन अनुष्ठानों से उन्हें देवी मां की असीम कृपा प्राप्त होती है।

पीले वस्त्र सजाएं: पूजा के समय, देवी सरस्वती को पीले वस्त्र अर्पित करें और स्वयं पीले वस्त्र पहनें, जो शुभता और जीवंतता का प्रतीक है।

क्या न करें:

क्रोध से बचें: इस दिन क्रोध करने या झगड़ों में पड़ने से बचें। ऐसी नकारात्मक भावनाएँ बसंत पंचमी से जुड़ी पुण्य ऊर्जा के प्रवाह में बाधा डालती हैं।

मांस और शराब से दूर रहें: पवित्रता और आध्यात्मिक संरेखण बनाए रखने के लिए, उत्सव के दौरान मांस और शराब का सेवन करने से बचें।

सत्यता मायने रखती है: ईमानदारी जरूरी है। झूठ बोलने या कपटपूर्ण व्यवहार करने से बचें, क्योंकि इससे अवसर की पवित्रता भंग होती है।

प्याज और लहसुन को कहें ना: प्याज और लहसुन का सेवन करने से परहेज करने की सलाह दी जाती है, क्योंकि माना जाता है कि इनमें ऐसे गुण होते हैं जो बसंत पंचमी के आध्यात्मिक माहौल में बाधा डाल सकते हैं।